गणेश चतुर्थी

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गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी, जिसे विनायाक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार भद्रा(मध्य अगस्त से मध्य सितंबर) में यह शुभ त्यौहार मनाया जाता है।  यह त्यौहार 10 दिनों तक रहता है और अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है, गणेश भगवान शिव और देवी पार्वती के छोटे पुत्र हैं। भगवान गणेश को 108 विभिन्न नामों से जाना जाता है. व्यापक रूप से इन्हें गणपति या विनायक के रूप में जाना जाता है। पुराणानुसार शिवपुराण में भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति गणेश की अवतरण-तिथि बताया गया है जबकि गणेशपुराण के मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। गण + पति = गणपति। संस्कृतकोशानुसार ‘गण’ अर्थात पवित्रक। ‘पति’ अर्थात स्वामी, ‘गणपति’ अर्थात पवित्रकों के स्वामी।

गणेश चतुर्थी भारत के अलावा दूसरे देशो जैसे थाईलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया और  नेपाल में भी भक्ति और श्रद्धा से मनाई जाती है। महाराष्ट्र, गोवा, केरल, तमिलनाडु कुछ ऐसे शहरों में से एक हैं जहाँ यह उत्सव सालो से  मनाया जाता है|

भगवान श्री गणेश

गणेश चतुर्थी का इतिहास:-

इसमें सबसे अधिक प्रासंगिक भगवान शिव और देवी पार्वती से जुडी कहानी है। ऐसा  माना जाता है कि माता पार्वती गणेश की  निर्माता हैं। कहानी के अनुसार देवी  पार्वती ने चंदन के मिक्षण से  शिव की अनुपस्थिति में गणेश का निर्माण किया. जब वह स्नान कर रही थी, तो उन्होंने गणेश को  अपने स्नानघर  के दरवाज़े की रक्षा करने का काम दिया।

शिव के घर लौटने के बाद, गणेश ने उन्हें  प्रवेश करने से रोक दिया जिसके कारण गणेश और शिव के बीच युद्ध हो गया और गुस्से में शिव ने गणेश का सिर काट दिया.  यह देखकर माता पार्वती को  गुस्सा आ गया. यह देखकर   भगवान शिव ने गणेश को दुबारा जीवित करने  का वादा किया और उन्होंने गणेश के धड़ पर गज का सर लगा दिया। और इसी तरह गजानन का जन्म हुआ।

  यह ज्ञात नहीं है कि गणेश चतुर्थी को कब और कैसे पहली बार मनाया गया था। लेकिन इतिहासकारो  के अनुसार, सबसे पहले गणेश चतुर्थी उत्सव सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य के शासनकाल में मनाई जाती थी । ऐतिहासिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि गणेश चतुर्थी उत्सव महाराष्ट्र में , महान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज, द्वारा संस्कृति और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था।

गणेश उत्सव 10 दिनों तक क्यों मनाते है –

धार्मिक ग्रंथो के अनुशार जब वेदव्यास जी ने महाभारत की कथा भगवन गणेश जी को दश दिनों तक सुनाई थी तब उन्होंने अपने नेत्र बंद कर लिए थे और जब दस दिन बाद आँखे खोली तो पाया की भगवान् गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया था।फिर उसी समय वेदव्यास जी निकट स्थित कुंड में स्नान करवाया था, जिससे उनके शरीर का तापमान कम हुआ इसलिए गणपति स्थापना के अगले दस दिन तक गणेश जी की पूजा की जाती है और फिर ग्यारहवे भगवान् गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है।

गणेश विसर्जन इस बात का भी प्रतीक है की यह शरीर मिटटी का बना है और अंत में मिटटी में ही मिल जाना है।

अब जानते है की गणेश उत्सव कबसे मनाया जाता है। यह उत्सव वैसे तो कई वर्षो से मनाया जा रहा है लेकिन संन 1893 से पूर्व यह केवल घरो तक ही सीमित था उस समय सामूहिक उत्सव नहीं मनाया जाता था और न ही बड़े पैमानों पर पंडालों में इस तरह मनाया जाता था।

सन 1893 में बाल गंगा धर तिलक ने अंग्रजो के विरुद्ध एक जुट करने के लिए बड़े  पैमाने पर इस उत्सव का आयोजन किया जिसमे बड़े पैमाने पर लोगो ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और इस प्रकार पूरे राष्ट्र में गणेश चतुर्थी मनाया जाने लगा।

बालगंगाधर तिलक ने यह आयोजन महाराष्ट्र में किया था इसलिए यह पर्व पूरे महाराष्ट्र में बढ़ चढ़ कर मनाया जाने लगा। तिलक उस समय स्वराज्य के लिए संघर्ष कर रहे थे और उन्हें एक ऐसा मंच चाहिए था जिसमे माध्यम से उनकी आवाज अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचे और तब उन्होंने गणपति उत्सव का चयन किया और इसे एक भव्य रूप दिया जिसकी छवि आज तक पूरे महाराष्ट्र में देखने को मिलता है।

गणेश चतुर्थी :संक्षिप्त विवरण

आधिकारिक नाम-          गणेश चतुर्थी

अनुयायी-हिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी

प्रकार-   हिन्दू त्यौहार (Hindu Festival)

उत्सव-  एक दिन से  दस दिन

समापन-अनंत चतुर्दशी

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