(आन्ध्र सातवाहन वंश)
“आन्ध्र सातवाहन वंश’ (60 ई.पू. से 240 ई.)
30 ई.पू. में सुशर्मन के अधिकारी सिमुक (सिंधुक) ने कण्व वंश को समाप्त कर सातवाहन वंश की स्थापना की।सातवाहन वंश महाराष्ट्र, आंध्र तथा कर्नाटक का उत्तरी भाग में विस्तारित था।राजधानी पैठान या प्रतिष्ठान |
सातवाहन वंश की जानकारी के प्रमाणिक स्रोत अभिलेख, सिक्के तथा स्मारक हैं, जो निम्नलिखित हैं–
- नागनिका का नानाघाट का लेख।(महाराष्ट्र के पूना जिले में स्थित)
- गौतमीपुत्र शातकर्णी के नासिक से प्राप्त दो गुहालेख।
- गौतमी बलश्री का नासिक गुहालेख।
- वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी का नासिक गुहालेख।
- वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी का कार्ले गुहालेख।
- यज्ञश्री शातकर्णी का नासिक गुहालेख।
आन्ध्र सातवाहन वंश’ से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-
सिमुक नाम का उल्लेख नानाघाट चित्र-फलक-अभिलेख में मिलता है। सिमुक के सात सिक्के भी इतिहासकारों को प्राप्त हुए हैं। नानाघाट के लेख में सिमुक को राजा सिमुख सातवाहन कहा गया है। जैन गाथाओं के अनुसार सिमुक ने जैन तथा बौद्ध मंदिरों का निर्माण करवाया था। सिमुक अपने शासन के अंतिम दिनों में दुाराचारी हो गया था, जिसके कारण उसको मार डाला गया था।
1.Kingdom- केन्द्रीय दक्षिण भारत पर राज किया। अशोक की मृत्यु (सन् २३२ ईसापूर्व) के बाद सातवाहनों ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया था।
2. सीसे का सिक्का चलाने वाला पहला वंश सातवाहन वंश था, और वह सीसे का सिक्का रोम से लाया जाता था।
3. इन राजाओं ने शक आक्रांताओं को सहजता से भारत में पैर नहीं जमाने दिये।
4. सातवाहन वंश का प्रारम्भिक राजा सिमुक था।( 28 ई०पू०)
5.आंध्रों की राजधानी श्रीकाकुलम थी. दूसरी राजधानी पैठान या प्रतिष्ठान (गोदारी के किनारे पैठन) बनी.
6. इधर आने के बाद ही इन्हें सातवाहन (शात वाहन, सिंह है वाहन जिनका) कहलाने लगे. इसीलिए इतिहास ने इन्हें सुविधा के लिए आंध्र-सातवाहन भी कहा है.
7. सातकर्णि–वीर चरित नाम के बौद्ध ग्रन्थ में उसका वर्णन प्रतिष्ठान के शासक के रूप में किया गया है
8. भड़ोच, सोपरा, कल्याण, मालाबार आदि प्रसिद्ध बन्दरगाह थे. रोम में भारत की विलासता की वस्तुएं जैसे मोती, हाथीदाँत आदि की पर्याप्त मांग थी अपने निर्यात के बदले रोम से भारत को अन्य सामान के अतिरिक्त (जैसे शराब) बहुत बड़ी मात्रा में सोने-चांदी के सिक्के आते थे.
9. इस वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक शातकर्णी प्रथम था।
सातवाहन वंश के शासक (राजा):
सातवाहन वंश में कुल 9 राजा ही हुए, जिनके नाम निम्नलिखित हैं:-
- सिमुक-वह, खारवेल का समकालीन था। उसने गोदावरी नदी के तट पर प्रतिष्ठान नगर को अपनी राजधानी बनाया।
- कृष्ण
- सातकर्णि
- गौतमीपुत्र सातकर्णि( 106 ई० से 130 ई०)- ‘त्रि-समुंद्र-तोय-पीत-वाहन’ उपाधि धारण की, 150 ई0 के प्रसिद्ध रूद्रदमन के जूनागढ़ के शिलालेख से भी निकाला जा सकता है। यह शिलालेख दर्शाता है कि नहपान से विजित गौतमीपुत्र शातकर्णी के सभी प्रदेशों को उससे रूद्रदमन ने हथिया लिया।वेणकटक नामक नगर की स्थापना गौतमी का पुत्र शातकर्णी ने की थी।
- वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी (130-154 ई०)– औरंगाबाद को अपनी राजधानी बनाया, उसने पूर्व तथा दक्षिण में चोल शासकों को पराजित किया , समुद्री शक्ति अत्यधिक थी| उसने भी महाराज और दक्शिनाप्थेश्वर की उपाधि धारण की जिसका उल्लेख अमरावती लेक में मिलता है आन्ध्र प्रदेश पर विजय प्राप्त करने के बाद इसे प्रथम आन्ध्र सम्राट कहा गया।
- वशिष्ठिपुत्र सातकर्णि
- शिवस्कंद सातकर्णि
- यज्ञश्री शातकर्णी (165-194 )- उत्तर कोंकण और मालवा शक राजाओं से वापस प्राप्त किये
- विजय
अन्य राजा:-
हाल (20 ई0पू0 – 24 ई0पू0)
1.चार वर्ष ही शासन किया
सातवाहन शासकों में शातकर्णी- प्रथम योद्धा ,हाल- शांतिदूत के रूप में अग्रणी था।
हाल साहित्यिक अभिरूचि भी रखता था & एक कवि सम्राट के रूप में प्रख्यात हुआ।
उसके नाम का उल्लेख पुराण, लीलावती, सप्तशती, अभिधान चिन्तामणि आदि ग्रन्थों में हुआ है। यह माना जाता प्राकृत भाषा में लिखी गाथा सप्तशती अथवा सतसई (सात सौ श्लोकों से पूर्ण) का रचियता हाल ही था।
बृहदकथा के लेखक गुणाढ्य भी हाल का समकालीन था तथा कदाचित पैशाची भाषा में लिखी इस पुस्तक की रचना उसने हाल ही के संरक्षण में की थी। कालानतर में बुद्धस्वामी की बृहदकथा‘यलोक-संग्रह, क्षेमेन्द्र की बृहदकथा-मंजरी तथा सोमदेव की कथासरितसागर नामक तीन ग्रन्थों की उत्पति गुणाढ्य की बृहदकथा से ही हुई।
महेन्द्र सातकर्णि:
राजा हाल के बाद क्रमशः पत्तलक, पुरिकसेन, स्वाति और स्कंदस्याति सातवाहन साम्राज्य के राजा हुए|स्कंदस्याति के शासन का अन्त 72 ई. में हुआ।
स्कंदस्याति के बाद महेन्द्र सातकर्णि राजा बना।
’परिप्लस आफ़ एरिथियन सी’ के ग्रीक लेखक ने भी इसी महेन्द्र को ‘मंबर’ के नाम से सूचित किया है।
प्राचीन पाश्चात्य संसार के इस भौगोलिक यात्रा-ग्रंथ में भरुकच्छ के बन्दरगाह से शुरू करके ‘मंबर’ द्वारा शासित ‘आर्यदेश’ का उल्लेख मिलता है।
Multiple Choice Objective Qusetion &Answer
1. निम्नलिखित में से किसने सातवाहन वंश की स्थापना की थी?
A. सीमुक
B. कान्हा
C. सातकर्णि
D. कृष्णा
Ans: A
2. निम्नलिखित में से किस सातवाहन वंश के राजा का नाम सांची स्तूप के प्रवेश द्वारों पर अंकित है?
A. सीमुक
B. कान्हा
C. सातकर्णि
D. कृष्णा
Ans: C
3. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा कथन गौतमिपुत्र सातकर्णि के सन्दर्भ में सही है?
A. गौतमी पुत्र के समय तथा उसकी विजयों के बारें में हमें नासिक शिलालेखों से सम्पूर्ण जानकारी मिलती है।
B. इसने अपने स्वयं के मुखौटा के साथ चांदी के सिक्के ले आए थे।
C. दोनों A & B
D. न A और न B
Ans: A
4. निम्नलिखित में से कौन सा कथन वशिष्ठपुत्र पुलुमावी के बारे में सही नहीं है?
A. वशिष्ठपुत्र श्री पुलुमावी के रूप में संदर्भित है।
B. गोदावरी नदी के किनारे पैथन या परिस्थान में अपनी राजधानी स्थापित किया था।
C. इसने अपनी राज्य की सीमाओं को पूर्वी डेक्कन तक बढ़ा दिया था। जावा और सुमात्रा के साथ व्यापार की शुरूवात की थी।
D. वह पहला राजा जिसने अपने नाम के साथ अपने माँ नाम जोड़ा था।
Ans: D
5. निम्नलिखित में से किस सातवाहन शासक ने जहाज को सिक्को पर चित्रित करके जारी किया था?
A. शिवस्कंद सातकर्णि
B. याजना श्री सातकर्णि
C. विजय
D. वशिष्ठिपुत्र सातकर्णि
Ans: B
6. सातवाहन राजवंश के अंतिम शासक कौन था?
A. शिवस्कंद सातकर्णि
B. याजना श्री सातकर्णि
C. विजय
D. वशिष्ठिपुत्र सातकर्णि
Ans: C
7. निम्नलिखित में से किस सातवाहन राजवंश के राजा के साथ उज्जैन के क्षत्रप का दो बार युद्ध हुआ था?
A. शिवस्कंद सातकर्णि
B. याजना श्री सातकर्णि
C. विजय
D. वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी
Ans: D
8. निम्नलिखित में से किस सातवाहन शासक ने अपने नाम के साथ अपने माता का नाम जोड़ा था?
A. सतकर्नी
B. शिवस्वति
C. गौतमीपुत्र सातकर्णि
D. वशिष्ठिपुत्र पुलूमवी
Ans: C
9. निम्नलिखित में से किस सतवाहन राजा को ‘दक्षिणपथ के भगवान’ के रूप में जाना जाता है?
A. सतकर्नी
B. शिवस्वति
C. गौतमीपुत्र सातकर्णि
D. वशिष्ठिपुत्र पुलूमवी
Ans: A
10. नानघाट के शिलालेख पर किस सातवाहन राजा की विजय गाथा विवरण मिलता है?
A. कान्हा
B. वशिष्ठिपुत्र पुलूमवी
C. गौतमीपुत्र सातकर्णि
D. सातकर्णि
Ans: D