Shishunag Dynasty

शिशुनाग वंश का इतिहास

संस्थापक -शिशुनाग

शासन काल- 412 ईसा पूर्व से 345 ईसा पूर्व के मध्य (इसका काल लगभग पाँचवीं ई. पू. स- चौथी शताब्दी के मध्य तक का है।)

 राजधानी -गिरिव्रज या राजगीर 

शिशुनाग वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:->

1. शासनकाल बिम्बिसार और अजातशत्रु (बुद्ध के समकालीन) के बाद का था।  आमतौर पर नंद वंश से ठीक पहले का माना जाता है

2. शिशुनाग ने 412 ई.पू. में नागदशक को मार डाला। जो हर्यंका वंश का अंतिम शासक है

3. शिशुनाग वंश के संस्थापक शिशुनाग ,महावंश के अनुसार वह लिच्छवि राजा के वेश्या पत्नी से उत्पन्न पुत्र था। पुराणों के अनुसार वह क्षत्रिय था।

4. शिशुनाग ने सर्वप्रथम मगध के प्रबल प्रतिद्वन्दी राज्य अवन्ति पर वहां के शासक अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और उसे अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया।

5. इस प्रकार मगध की सीमा पश्चिम मालवा तक फैल गई। तदुपरान्त उसने वत्स को मगध में मिलाया।

6. शिशुनाग के पुत्र कालाशोक (394 ई.पू. से 366 ई.पू.)  के काल को प्रमुखत: दो महत्त्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है- वैशाली में दूसरी ‘बौद्ध परिषद’ की बैठक और पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में मगध की राजधानी का स्थानान्तरण।

7. कालाशोक का उपनाम “काकवर्ण ” था

8 दूसरा बौद्ध परिषद वैशाली (या वैशाली) में आयोजित किया गया था, जो कि प्राचीन काल के उत्तर भारत के बिहार राज्य का एक प्राचीन शहर था, जो राजा कलसोका के संरक्षण में नेपाल की सीमा में था, जबकि इसकी अध्यक्षता “साबकामी” ने की थी

9. बाणभट्ट रचित हर्षचरित के अनुसार काकवर्ण / कालाशोक (394 ई.पू. से 366 ई.पू.) को राजधानी पाटलिपुत्र में घूमते समय महापद्यनन्द नामक व्यक्ति ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी। ३६६ ई. पू. कालाशोक की मृत्यु हो गई।

10. महाबोधिवंश के अनुसार कालाशोक के दस पुत्र थे, जिन्होंने मगध पर २२ वर्षों तक शासन किया।

11.शिशुनाग वंश का अंतिम राजा नंदिवर्धन था। उसने 367 ई पू से 345 ई पू में राज्य किया। इसके बाद महापद्मनंद ने नंद वंश की स्थापना की।

12. 344  ई. पू. में शिशुनाग वंश का अन्त हो गया और नन्द वंश का उदय हुआ।

माना जाता है कि नंद वंश के संस्थापक महापद्मनंद  था ,द्वारा कालाशोक (394 ई.पू. से 366 ई.पू.) की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई और शिशुनाग वंश के शासन का अन्त हो गया।