Vakataka Dynasty

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वाकाटक वंश

  • इस वंश की स्थापना 255 ई. में विन्ध्य शक्ति ने की थी।
  • प्रसिद्ध शासक-राजा प्रवरसेन प्रथम , अपने शासनकाल में उसने सम्राट की उपाधि की तथा चार अश्वमेघ यज्ञों का आयोजन किया।
  • वाकाटक ब्राह्मण थे और इन्होंने ब्राह्मणों को खूब भूमि-अनुदान दिये।
  • सांस्कृतिक दृष्टि से वाकाटक राज्य ने ब्राह्मण घर्म के आदर्शों और सामाजिक संस्थाओं को दक्षिण की ओर बढ़ाने में एक महत्त्वपूर्ण सेतु के रूप में कार्य किया
  • राजधानी -नागार्धन/नागवर्धन (नागपुर)
  • वाकाटक की पूर्वी शाखा की राजधानी -नंदीवर्धन
  • नागार्धन से हुई खुदाई में मिट्टी से निर्मित मुहरे , अंडाकार मुहरें प्रभातगुप्त, वाकाटक वंश की रानी के समय की है। इन मुहरों पर शंख के चित्रण के साथ ब्राह्मी लिपि में रानी का नाम मुद्रित है।
  • मुहरों पर मुद्रित शंख – यह वैष्णव संबद्धता का एक संकेत है।
  • रानी प्रभाववती गुप्त द्वारा जारी ताम्रपत्र गुप्तों की एक वंशावली से शुरू होता है, जिसमें रानी के दादा समुद्रगुप्त और उनके पिता चंद्रगुप्त द्वितीय का उल्लेख है।
  • रानी प्रभाववती गुप्त वास्तव में एक शक्तिशाली महिला शासक थीं।
  • व्यापार -भूमध्य सागर के माध्यम से ईरान तथा अन्य देशों , मुहरों का इस्तेमाल राजधानी से जारी एक आधिकारिक शाही अनुमति के रूप में किया जाता होगा।

रानी प्रभाववती गुप्त :-

  • वैवाहिक गठबंधनों में से एक है शक्तिशाली गुप्त वंश की राजकुमारी प्रभावती गुप्त क्योंकि गुप्त वंश उस समय उत्तर भारत पर शासन कर रहा था।
  • वाकाटक राजा रुद्रसेना द्वितीय से विवाह करने के बाद, प्रभाववती गुप्त ने मुख्य रानी का पद धारण किया। रुद्रसेना द्वितीय के आकस्मिक निधन के बाद वाकाटक राज्य की कमान संभाली, तो महिला वाकाटक शासक के रूप में उसका महत्त्व और अधिक बढ़ गया। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि एक शासिका के रूप में उसके शासन कल में मुहरें जारी की गई, वह भी राजधानी नागार्धन से।

वैष्णव संबद्धता के संकेत :-

  • वाकाटक शासकों -शैव संप्रदाय , गुप्त वंश- वैष्णव धर्म का अनुयायी था।
  •  रामटेक में पाए गए वैष्णव संप्रदाय से जुड़े कई धार्मिक ढाँचे रानी प्रभाववती गुप्त के शासनकाल के दौरान बनाए गए थे।
  • महाराष्ट्र में नरसिंह की पूजा करने की प्रथा रामटेक से ही निकली थी, विदर्भ क्षेत्र में वैष्णव प्रथाओं के प्रचार में रानी प्रभाववती गुप्त की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। रानी प्रभाववती गुप्त ने लगभग 10 वर्षों तक शासन किया जब तक कि उसके पुत्र प्रवरसेन द्वितीय ने सत्ता नहीं संभाल ली।

नागार्धन से प्राप्त अवशेष :-

  • मृद्भांड, एक पूजा का स्थल, एक लोहे की छेनी, हिरण के चित्रण वाला एक पत्थर और टेराकोटा की चूड़ियों के रूप में प्रमाण मिले हैं।
  • टेराकोटा वस्तुओं में देवताओं, पशुओं और मनुष्यों की छवियों को भी चित्रित किया गया साथ ही ताबीज एवं पहिये आदि भी प्राप्त हुए हैं।
  • भगवान गणेश की एक अखंड मूर्ति प्राप्त हुई, जिसमें कोई अलंकरण नहीं था, जो इस बात की पुष्टि करती है कि उस काल के दौरान भगवान गणेश की आराधना सामान्य थी।
  • वाकाटक लोगों की आजीविका – पशु पालन । घरेलू जानवरों की 7 प्रजातियों- मवेशी, बकरी, भेड़, सुअर, बिल्ली, घोड़ा और मुर्गे के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।

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